Lingaraj Temple Bhubaneswar

Lingaraj Temple Bhubaneswar

उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर को मंदिरों का शहर कहा जाता है और उसी शहर के मध्य स्थित है एक ऐसा दिव्य स्थल जो केवल एक मंदिर नहीं बल्कि हजारों वर्षों के रहस्यों और आस्थाओं का संगम है। लिंगराज मंदिर यह मंदिर केवल भगवान शिव को समर्पित नहीं है बल्कि इसमें भगवान विष्णु की उपस्थिति भी समाहित है। Read Lingaraj Temple Bhubaneswar here. 

क्यों है भुवनेश्वर का लिंगराज मंदिर इतना खास, आइए जानते है इसका संपूर्ण इतिहास:

यहां स्थापित शिवलिंग को हरिहर कहा जाता है। यानी एक ऐसा रूप जिसमें शिव और विष्णु दोनों समाहित हैं। यह भारत में अद्वितीय है। जहां दो महाशक्तियों का संगम एक ही लिंग के रूप में स्थापित हैं। आज हम उसी लिंगराज मंदिर भुवनेश्वर ( Lingaraj temple bhubaneswar) का संपूर्ण जानकारी देने वाले है। तो कृपया इस आर्टिकल को पूरा पढ़े। 

लिंगराज मंदिर भुवनेश्वर इतिहास( History of Lingaraj temple bhubaneswar): 

कहा जाता है कि लिंगराज मंदिर का निर्माण “सोमवंशी राजा गैगति केसरी” द्वारा 11वीं शताब्दी में करवाया गया था। लेकिन यह स्थल त्रेता युग से भी प्राचीन है। पुराणों और लोक कथाओं के अनुसार इस स्थान पर एक तपस्वी ने कठोर तपस्या के दौरान “हाय” और “हा” दोनों का जाप किया। उसी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव और विष्णु ने एकाकार होकर एक शक्ति के रूप में प्रकट हो स्वयं को शिवलिंग के रूप में प्रकट किया। इस शिवलिंग को “स्वयंभू”  माना जाता है। यानी यह धरती से स्वतः उत्पन्न हुआ था। इसे किसी ने स्थापित नहीं किया। 

Lingaraj Temple Bhubaneswar

लिंगराज मंदिर भुवनेश्वर (Lingaraj Temple bhubaneswar) वास्तु  शिल्प का आकार अभी भी एक रहस्य  बना हुआ है। इसमें किसी भी आधुनिक सामग्री जैसे सीमेंट या लोहे का उपयोग नहीं किया गया हैं फिर भी यह मंदिर शताब्दियों से खड़ा है। अनेकों चक्रवातों और तूफानों से बचा यह मंदिर अद्भुत आकृति को भी दर्शाता हैं। यहां की अदभुत विचारधारा की वजह से, मंदिर के गर्भगृह में स्थित शिवलिंग तक सामान्य श्रद्धालुओं को पहुंचने की अनुमति  बिल्कुल भी नहीं है। केवल विशेष ब्राह्मण पुजारी ही गर्भगृह में प्रवेश कर सकते हैं। बताया जाता है कि यह परंपरा हजारों वर्षों से ऐसी ही चली आ रही है।

यहां की कुछ भक्तों का कहना है कि मंदिर परिसर में प्रवेश करते ही एक रहस्यमय ऊर्जा शरीर में प्रवाहित होने लगती है। यह ऊर्जा इतनी शांत और गूर होती है कि व्यक्ति स्वयं को एक अलग ही आध्यात्मिक दुनिया में अनुभव करता है। 

जबकि ज्ञान साधना करने वालों भक्तों ने बताया है कि मंदिर की दीवारों से कंपन की ध्वनि सुनाई देती है। जैसे कोई मंत्र  गूंज रहा हो। और मंदिर के पास स्थित एक विशाल झील है जिसे  “बिंदु सागर” के नाम से जाना जाता है।  यह कोई सामान्य जलकुंड नहीं बल्कि इसके बारे में मान्यता है कि इसे ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने मिलकर अपने बिंदुओं, ऊर्जा तत्वों से निर्मित किया था। इस झील का जल कभी सूखता नहीं। चाहे कितनी भी गर्मी क्यों ना हो। वैज्ञानिक इस रहस्य को आज तक समझ नहीं पाए हैं। लिंगराज मंदिर के शिवलिंग का अभिषेक प्रतिदिन इसी झील के जल से किया जाता है और मान्यता है कि यह जल किसी भी प्रकार की अशुद्धता से परे है। 

लिंगराज मंदिर की कथा(Story of Lingaraj Temple):

लिंगराज मंदिर से जुड़ी एक रहस्यमयी कथा यह भी माना जाता है  है कि, लिंगराज मंदिर का निर्माण खुद देव शिल्प विश्वकर्मा जी के द्वारा किया गया था। विश्वकर्मा इस मंदिर को एक ही रात में बनाने वाले थे परन्तु सुबह होने की वजह से लिंगराज मंदिर का निर्माण पूरा नहीं हो सका, और काफी कार्य बचने की वजह से मंदिर का कुछ हिस्से अधूरा रह गया। जिसके कारण आज भी मंदिर थोड़ा बहुत अधूरी प्रतीत होती है।

वैसे तो लिंगराज मंदिर से जुड़ी बहुत सारी सहस्यमयी चीजें हैं परन्तु इनमें से एक ऐसा ध्वनि का रहस्य बना हुआ हैं जिसकी वजह से वैज्ञानिक भी आश्चर्य चकित हैं। कहां जाता है कि इस मंदिर में हर 12 वर्षों में एक ऐसा विशेष दिन आता है जब शिवलिंग से रहस्यमई ध्वनि निकलती है। यह ध्वनि हर कोई नहीं सुन सकता। केवल साधक या श्रद्धा में डूबे व्यक्ति ही सुन सकते है  जिसे शिव का जागरण कहा जाता है। वैज्ञानिक इसे किसी भूगर्भय प्रभाव की ध्वनि मानते हैं। परंतु श्रद्धालु इसे दिव्य संकेत मानते हैं। हम आपको बता दे कि,मंदिर में केवल हिंदुओं को ही प्रवेश की अनुमति दी जाती है। 

Read More :- Delhi mein ghumne ki jagah

लिंगराज मंदिर भुवनेश्वर (Lingaraj temple bhubaneswar) केवल एक धार्मिक स्थल नहीं यह एक ऐसी जीवंत ऊर्जा का केंद्र है जो लोगों को जीवन भर प्रभावित करती है। इसकी हर दीवार, हर मूर्ति जैसे कुछ कहना चाहती है। जैसे यह मंदिर केवल पत्थरों से नहीं बना बल्कि श्रद्धा, भक्ति और रहस्य से गढ़ा गया है। यहां आकर लोग केवल दर्शन नहीं करते। वे एक अनुभव लेकर लौटते हैं। एक ऐसा अनुभव जो उनके मन, मस्तिष्क और आत्मा को छू जाता है। लिंगराज मंदिर हमें यह एहसास कराता है कि भारत केवल मंदिरों की भूमि नहीं बल्कि चमत्कारों, दिव्य रहस्यों और अद्वितीय आध्यात्मिक ऊर्जाओं की भूमि है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *