
Lingeshwar mandir nawagarh, chhattisgarh
हिंदू धर्म में परमपिता महादेव की न जाने कितनी शिवलिंग विराजमान हैं हम आपको किस लेख में lingeshwar mahadev की पूरी सच्चाई और खासियत बताने वाले है तो कृपया इस लेख को अच्छे से और ध्यान से पढ़ें, और अपने करीबियों के साथ जरूर साझा करें। हम आपको इस लेख में लिंगेश्वर महादेव का इतिहास, इससे जुड़ी कुछ प्रमुख तथ्य और संपूर्ण कथा का विस्तार करने वाले हैं तो चलिए शुरू करते हैं ।
Lingeshwar mandir Nawagarh, Chhattisgarh
महादेव जो भगवान शिव का एक प्रमुख शिवलिंग के रूप में विराजमान है जो छत्तीसगढ़ के चांपा जिले में जहांगीर के, लिंगेश्वर नगरी कहे जाने वाले एक अद्भुत स्थान, (नवागढ़) में स्थित, जो भगवान शिव का एक प्रमुख स्थल हैं। जो लिंगेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है जहां पर भगवान शिव की पूजा वंदना की जाती है नवागढ़ स्थान जो ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से भक्तों के लिए एक प्रमुख केंद्र बना हुआ है, जिसका महत्व सर्वोच्च से अधिक है जहां पर पारंपरिक और रहस्यमई चीजों की उत्पत्ति का अनूठा संगम देखने को मिलता है। कुछ लोगों का मानना है, कि यह एक ऐसा शिवलिंग है जो समय-समय पर अपने आकार को परिवर्तित करता रहता है
लिंगेश्वर महादेव शिवलिंग की क्या है मान्यता:
लिंगेश्वर महादेव शिवलिंग की कुछ प्रमुख मान्यता जो सदियों से चली आ रही है। जिसमें कहा जाता है, कि यह पूरे भारतवर्ष में एक ऐसा शिवलिंग मौजूद हैं, जो आकार में सबसे बड़ा और सबसे ऊंचा भी है, जो समय-समय पर अपने आकार को परिवर्तित करता रहता है लिंगेश्वर महादेव छत्तीसगढ़ के नवागढ़ में स्थित है जो धरती को चिरकर प्रकट हुआ था। जिसके दर्शन करने के लिए देश के हर कोने से लोग आते रहते हैं। परंतु सावन के महीनों में शिवलिंग पर जल चढ़ाने की भीड़ अद्भुत देखने को मिलती है किसके साथ ही सावन माह में यहां विशाल मेले का भी शुभारंभ होता है। जो श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता हैं। lingeshwar mahadev
Lingeshwar Mahadev का इतिहास:
मंदिर के पुजारी ने लिंगेश्वर महादेव के बारे में बताते हुए कहते हैं कि यह भारत का एक ऐसा शिवलिंग है जो आकार में सबसे बड़ा और विशाल है जिसका आकार दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है जो अपने भक्तों की रक्षा और उनकी मनोकामना पूर्ण करने के लिए विस्तारित हुआ है। पुजारी जी बताते हैं कि इस शिवलिंग का इतिहास में कोई लिखित प्रमाण तो नहीं मिलता परंतु इसकी रहस्यमई उत्पत्ति से सभी लोग प्रभावित हैं उन्होंने बताया कि पास में स्थित एक तालाब के किनारे पर इसकी उत्पत्ति हुई थी, जहां शिवलिंग धरती को चिरकर उजागर हुआ था तब से यहां पर भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है। जो देश के कोने-कोने से शिव भक्त श्रद्धालु इनके दर्शन के लिए हर साल आते रहते हैं
आगे पुजारी जी यह भी बताते हैं कि इस मंदिर की उत्पत्ति करीब 70 साल पहले हुई थी, परंतु अभी तक इस मंदिर के परिसर को विस्तारित किया जा रहा है यहां पर एक विशाल पीपल का वृक्ष भी देखने को मिलता है जहां पर हनुमान जी को विराजित किया गया है साथ ही यहां पर भगवान शिव का अर्धनारीश्वर मूर्ति भी देखने को मिलती है और उनके साथ सभी देवी देवताओं की मूर्ति को भी विस्तारित किया जा रहा है।
वैसे तो यहां पर हर वक्त भक्तों की भीड़ देखने को मिलती है परंतु सावन महीने में यहां पर अधिक मात्रा में श्रद्धालु उपस्थित होते हैं जो शिवलिंग पर जल चढ़कर अपनी मनोकामना पूर्ति का वरदान मांगते हैं।
लिंगेश्वर महादेव का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व:
हिंदू धर्म में महादेव को परमपिता के रूप में पूजा जाता है जिसका अर्थ होता है सबसे ऊंचा। इस प्रकार लिंगेश्वर महादेव भारत में स्थित किसी भी शिवलिंग से सबसे बड़ा और ऊंचा दिखने वाला एक अद्भुत शिवलिंग है जो जमीन से लगभग 4 फीट ऊंचा और तल में इसकी गहराई का कोई भी अंदाजा नहीं लगाया जा सकता।
शिव भक्तों का मानना है कि यह समय-समय पर अपने आकार में परिवर्तन करता रहता परंतु इसके साथ ही यह अपने रंग में भी परिवर्तन करता हैं। जो सावन में इसका रंग भूरा और गर्मी में इसका रंग काला दिखाई देता है जो भक्तों की आस्था का एक प्रमुख केंद्र बना हुआ है भक्तों का मानना है कि इसपर जल चढ़ाने से उनके सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है
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जो भक्तों के लिए किसी भी मंडली, त्यौहार, श्रद्धा और विकास की एक संपूर्ण भावना का अंगूठा संगम देखने को मिलता है जिसकी सुरक्षा के लिए यहां का प्रशासन सदैव तैयार रहती है।
हमने आपको इस लेख में लिंगेश्वर महादेव से जुड़ी कुछ प्रमुख बातें उनकी इतिहास और महत्व के बारे में बताया है।
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